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    इतिहास

    अंग्रेजी हुकुमत के दौरान 1854 से 1864 तक बलौदा बाजार व तरेंगा (भाटापारा) रायपुर जिले का अंग थे । पश्चात 1864 में इन इलाकों को बिलासपुर जिले में शामिल कर लिया गया। प्रशासनिक दृष्टिकोण से उत्पन्न हो रही दिक्कतों के पश्चात दूरदर्शिता पूर्वक अंग्रेज अधिकारियों के द्वारा 1903 में सिमगा स्थित तहसील मुख्यालय को बलौदा बाजार में स्थानांतरित कर इसे जिला का दर्जा दिया गया। उस वक्त से ही विकासखंड सिमगा, भाटापारा, बलौदा बाजार, पलारी, कसडोल व बिलाईगढ़ इसके अतर्गत शामिल थे। जिन्हें 1982 में पृथक तहसील का दर्जा दिया गया। प्रशासनिक दृष्टिकोण से अंग्रेजों द्वारा बलौदा बाजार से 2 किमी दूर स्थित ग्राम परसाभदेर (मिशन) में विश्राम गृह, चर्च, अस्पताल व निवास निर्मित कराया गया। 1920 में सेनीटेशन एक्ट लागू कर बलौदा बाजार में पंचायत का गठन किया गया। स्वतंत्रता पश्चात 1949 में स्थानीय शासन अधिनियम के तहत बलौदा बाजार को ग्राम पंचायत बनाया गया।

    जिला न्यायालय के बारे मेंः- जिला एवं सत्र न्यायालय, बलौदाबाजार का शुभारंभ 02 अक्टूबर 2013 को श्रीमती रजनी दुबे जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बलौदाबाजार द्वारा किया गया। सिविल जिला बलौदाबाजार के अंतर्गत व्यवहार न्यायालय, भाटापारा, सिमगा एवं कसडोल शामिल है। व्यवहार न्यायालय, भाटापारा में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के न्यायाधीश कार्यरत है तथा व्यवहार न्यायालय, कसडोल में प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश एवं व्यवहार न्यायालय सिमगा में द्वितीय श्रेणी के न्यायाधीश कार्यरत है।